इतिहास
ब्रह्मपुत्र बोर्ड जो एक सांविधानिक निकाय है, का गठन सिंचाई मंत्रालय के अधीन (वर्तमान जल शक्ति मंत्रालय के नाम से पुनरनामित) संसद के एक अधिनियम (1980 का 46 अधिनियम)किया गया था। बोर्ड के अधिकार-क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी सहित ब्रह्मपुत्र बेसिन में आनेवाले सिक्किम और पश्चिम बंगाल तथा उत्तर–पूर्वी क्षेत्र के सभी राज्य अन्तर्भुक्त किए गए हैं।बोर्ड में 21 सदस्य हैं (4 पूर्णाकालिक तथा 17 अंशाकालिक) जो पूर्वोत्तर क्षेत्र के 7 राज्यों का, पूर्वोत्तर परिषद, भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों, नामत: जल संसाधन, वित्त,कृषि, शक्ति, सतही परिवहन और राजमार्ग और भारत सरकार के संगठनों, नामत: केन्द्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय मौसमविज्ञान विभाग और केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरणका प्रतिनिधित्व करते हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनर) के सृजन के बाद तथा ब्रह्मपुत्र बोर्ड के अधिकार−क्षेत्र में एवं सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल के एक भाग के शामिल किए जाने के बाद डोनर के प्रतिनिधि, सचिव, सिंचाई तथा बाढ़ नियंत्रण विभाग (आइ एंड एफसीडी), सिक्किम, सचिव, सिंचाई व जलमार्ग (आइ एंड डब्ल्यू) विभाग, पश्चिम बंगाल, मुख्य अभियंता, ब्रह्मपुत्र एवं बराक बेसिन (बी एंड बीबी), केंद्रीय जल आयोग, शिलांग आर सलाहकार, नर्थ इस्ट प्लानिंग कमीशन को बोर्ड की बैठको में विशेष आमंत्रित के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
बोर्ड ने गुवाहाटी में मुख्यालय बनाकर 11 जनवरी 1981 से कार्य करना प्रारंभ किया। ब्रह्मपुत्र बोर्ड नियमावली 1981 की धारा (3) की उपधारा (2) के अनुसार बोर्ड ने नई दिल्ली में एक संपर्क कार्यालय स्थापित किया है।